राष्ट्रीय

हम वैक्सीन की डोज देने में दुनिया के देशों में 77 नंबर पर : शक्ति सिंह गोहिल

नई दिल्ली (श्रीजी एक्सप्रेस)। कांग्रेस के वरिष्इ नेता शक्ति सिंह गोहिल ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि एक हिंदुस्तानी होने के नाते मैं बहुत दुख के साथ कहना चाहता हूं कि आज पूरी दुनिया जो कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई लड़ रही है, उसमें हमारा देश भारत जो 100 की आबादी पर वैक्सीन का डोज देने की, जो दुनिया के देशों की नंबरिंग दी गई है, उसमें हमारा देश 77 नंबर की पायदान पर गिरा हुआ है और इस बात का मुझे भारतीय होने के नाते दुख हो रहा है कि हम वैक्सीन की डोज देने में दुनिया के देशों में 77 नंबर पर नीचे गिरे हुए हैं। ये हमारी हालत है। दुनिया के चार देश ऐसे भी हैं कि जिन्होंने 100 की आबादी पर पूरे 100 डोज दिए हैं या उससे ऊपर भी गए हैं और उन देशों में सेशेल्स, इजरायल, यू.ए.ई और सैन मैरिनो।
अमेरिका और यूके से लेकर मालदीव तक बहुत सारे देश ऐसे हैं कि जिन्होंने 100 की आबादी पर 80 कोरोना वैक्सीन के डोज दिए हैं, मतलब कि 80 प्रतिशत को वो छू चुके हैं या उससे ऊपर गए हुए हैं। ऐसे बहुत सारे देश हैं, जिसमें अमेरिका और यूके से लेकर जैसे मैंने कहा मालदीव तक। हमारे देश में जिनको एक डोज मिला है, ऐसे 100 की आबादी पर 10 लोग हैं, 10 प्रतिशत और जिनको दोनों डोज मिल गया 2.7 प्रतिशत। इन दोनों को हम जोड़ लें, तो हमारा देश कोरोना के वैक्सीन के डोज देने में 13 प्रतिशत का भी आंकड़ा नहीं छु रहा है। और ये सब हमारे देश में हो रहा है, जिस देश के पास वैक्सीन मैन्युफैक्चरिंग की कपैसिटी अव्वल नंबर की है। आज जो दोनों वैक्सीन हमारे देश में बन रही है, वो दोनों इंस्टीट्यूट, दोनों लेबोरेटरी जो हैं, वो मोदी जी के आने से पहले से बनी हुई हैं, वो कहते थे – 70 साल में क्या किया था? तो ये उस वक्त की, वही दोनों लेबोरेटरी में ये वैक्सीन बन रही है। हमारी कपैसिटी बहुत बेहतरीन है और इसी को देखते हुएलजो पार्लियामेंट की हमारी स्टैंडिंग कमेटी है, डिपार्टमेंट रिलेटेड स्टैंडिंग कमेटी, जो हेल्थ की रिलेटेड स्टैंडिंग कमेटी है, उसने 16 अक्टूबर को डिपार्टमेंट के साथ बात की। औऱ उसके बाद ये डिपार्टमेंट को 16 अक्टूबर, 2020 को कहा गया कि इस देश में वैक्सीन जो पैदा हो रहा है या जहाँ पर जो कर रहे हैं, उसकी आप युद्ध के तौर पर इसकी बढ़ोतरी कीजिए, जल्द से जल्द इसमें बढ़ोतरी कीजिए। अक्टूबर, 2020 को स्टैंडिंग कमेटी ने कहा और ये भी कहा कि ज्यादा से ज्यादा सब्सिडी दीजिए। स्टैंडिंग कमेटी ने ये भी कहा कि हर देशवासी को सरकार ये सुनिश्चित करे कि देश के हर नागरिक को ये वैक्सीन देनी चाहिए। ये बात स्टैंडिंग कमेटी की सरकार ने क्यों नहीं मानी? सवाल वहाँ पर उठता है। अगर वो बात मान ली होती, तो आज पूरी दुनिया में जिन देशों ने अच्छे से वैक्सीन किया 100 से 60 से या ऊपर नंबर तक गए हैं, वहाँ पर ना महामारी से किसी की जान जा रही है ज्यादा औऱ ना ही वहाँ पर कोई लॉकडाउन या दूसरे साधन की ज़रुरत हो रही है। वहाँ नॉर्मल लाइफ है। अगर स्टैंडिंग कमेटी ने, मैं आपको उसकी प्रतिलिपि सभी मीडिया के साथियों को और पब्लिक डोमेन में रखता हूं। तो उस स्टैंडिंग कमेटी में भाजपा के ज्यादा लोग थे, मतलब सभी पार्टी की पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी है। उसमें ये कहा गया था उस बात को।
हमारे देश का इतिहास रहा है। हमने जैसे चेचला, या गुजरात में या बिहार में शीतला कहते हैं, वो आया या पोलियो आया। इसका वैक्सीन जब हमने शुरु किया, ना स्मार्ट फोन था, ना इंटरनेट था और हमारे देश ने चाहे वो चेचला हो या पोलियो हो या दूसरे वैक्सीन देने की बात आई, तो पूरी दुनिया में भारत को बहुत गौर के साथ दुनिया ने बधाई दी कि आपने जो काम किया है, वो बेहतरीन काम किया। वही देश आज इतनी बुरी हालत से क्यों गुजर रहा है? दुनिया के जिन देशों ने वैक्सीन बनाई या बनाने की जिनकी क्षमता थी, उन्होंने पहले अपने देश के नागरिकों की चिंता की। अमेरिका जैसे समृद्ध देश ने ये एक पॉलिसी बनाई, अमेरिका पहले। अमेरिका ने जब अपने देश के नागरिकों को पूरी तरह से जब तक आसानी से डोज ना मिले, ऐसी व्यवस्था ना हुई, तब तक एक डोज भी वैक्सीन की अमेरिका ने बाहर नहीं जाने दिया।
मेरा सीधा सवाल सरकार से है कि आपने करोड़ों कोरोना की वैक्सीनेशन डोज अगर मेरे गुजरात की 6 करोड़ की आबादी है, अगर आप डोज की पूरी की पूरी, पैदा हुआ, वहाँ से वृद्ध आदमी है, सबको अगर वैक्सीन दे देते, तब भी आपके पास वैक्सीन बचती। इतनी वैक्सीन तो आपने बाहर के देशों को दे दी। क्यों आपको चिंता नहीं हुई कि बाहर के देश में जो बेच रहे हैं, पहले मेरे देशवासी को मिलना चाहिए? अगर अमेरिका कहता है कि अमेरिका पहले, पहले अमेरिकन को वैक्सीन का डोज मिलेगा, तो मेरा देश क्यों नहीं कह सकता है कि ढ्ढठ्ठस्रद्बड्ड द्घद्बह्म्ह्यह्ल, पहले भारतवासी को पहले डोज मिलेगा? करोड़ों डोज बाहर भेज दिए और आज मेरे देश का हर नागरिक एक वैक्सीन का डोज लेने के लिए दर-दर की ठोकर क्यों खाए? कौन है इसके लिए जिम्मेदार? जैसे इस दिल्ली की गद्दी पर एक सुल्तान आया था, तुगलक कहा जाता है उसको। जिसने दिल्ली से दौलताबाद किया और फिर दौलताबाद से राजधानी दिल्ली किया। उसी तरह से हमारे प्रधानमंत्री ने भी हमारे देश से करोडों डोज वैक्सीन के पहले बाहर भेज दिए, अब बाहर के देशों से वही डोज वापस ला रहे हैं। ये तुगलक की तरह हमारे देश के सुल्तान जो काम कर रहे हैं, इससे देश बर्बाद हो रहा है।
मेरे हमारे प्रधानमंत्री जी से कुछ सवाल हैं –
मेरा पहला सवाल है कि आपने ढ्ढठ्ठस्रद्बड्ड द्घद्बह्म्ह्यह्ल, अमेरिका की तरह क्यों नहीं किया? आपने क्यों वैक्सीन बाहर भेजी, जब देशवासियों को जरुरत थी?
मेरा दूसरा सवाल है कि देश की संसद की पार्लियामेंट्री कमेटी ने, स्टैंडिंग कमेटी ने 16 अक्टूबर को आपको कहा था कि देशवासी को पहले वैक्सीन का डोज मिले, इसलिए आप इसमें पूरी तरह से एक तो पारदर्शिता लाइए। तीन बातें की थी, तीनों पैराग्राफ मैं आपको भेज रहा हूं। पहली बात थी -पारदर्शिता लाओ। दूसरी बात थी – युद्ध के तौर पर मैन्युफैक्चरिंग डोज का बढ़ाओ। तीसरा बात थी कि आप पूरी सब्सिडी दो और पूरे देश को वैक्सीन हर नागरिक को मिले, उसका इंतजाम हो। ये क्यों नहीं किया, इसका जवाब प्रधानमंत्री जी दें?
मेरा तीसरा सवाल, बिहार का चुनाव था, आपके वित्त मंत्री ने और आपने अनाउंस किया था कि पूरे देश में भारत सरकार मतलब सेंट्रल गवर्मेंट फ्री में वैक्सीन देगी। ये क्या जुमला था आपका? आज क्यों आप राज्यों के ऊपर बर्डन डाल रहे हैं? आपने तो पहले ये कहा था तो राज्य भी सभी स्टेट मान कर चल रहे थे कि 100 प्रतिशत भारत सरकार और आपका बजट का प्रावधान भी था, राज्यों ने अपने बजट में प्रावधान भी नहीं किया क्योंकि आप फ्री पूरे देश को देने वाले थे। अब आप अपने पाप का ठीकरा स्टेट गवर्मेंट्स के सिर पर क्यों फोड़ रहे हो? इसका जवाब दीजिए।
मेरा एक और सवाल है कि आज जिस तरह से आप कन्फ्यूजन पैदा करते हो, उससे बाहर क्यों नहीं निकलते? पहले आपने जुमला दिया कि मित्रों, 21 दिन में कोरोना को जीत लेंगे, हुआ नहीं। आपने कहा कि जो जहाँ है, वहीं रहे – जान है तो जहान है। लॉकडाउन भी जरुरी है। पर अब कहते हैं कि मरना है तो मरो, नेशनवाइड लॉकडाउन नहीं करेंगे, क्यों? हर रोज का लेकर हर रोज खाने वाला है, उसके खाते में सीधे पैसे न्याय योजना की तरह क्यों नहीं डाल रहे? आप किसान को बर्बाद होते हुए देख रहे हैं, उसकी जेब से लूट रहे हैं और फिर चव्वनी जेब में डालने के लिए आप मीडिया के सामने लाइव होते हो, आपने क्यों खाद की कीमतों में 46 ह्लश 58त्न बढ़ोतरी क्यों की? इसका जवाब दीजिए। 1400 हजार करोड़ आपने फार्मर के ऊपर बोझ क्यों डाला? इसका जवाब दीजिए और उसके बाद चव्वनी वापस करने की बात करते हो, इसका जवाब देश को दीजिए।
एक प्रश्न पर कि आज यूथ कांग्रेस के दफ्तर पर दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की टीम ने पहुँचकर पूछताछ की, क्या कहेंगे, श्री शक्ति सिंह गोहिल ने कहा कि इस देश के सुल्तान ने खुद मदद नहीं की और जो कोई इधर उधर से जनसेवा के लिए निकला, वो भी इस देश के सुल्तान से बर्दाश्त नहीं हो रहा है और खासकर कांग्रेस पार्टी कोई अच्छा काम कर रही है, जिससे यहाँ सोशल मीडिया में सराहना होती सुनाई दी। इंटरनेशनल लेवल पर भी यूथ कांग्रेस के साथियों का, कांग्रेस के लोगों की जनसेवा कोरोना के दौरान जो हो रही है, उसकी सराहना हो रही है तो सुल्तान से शायद ये बर्दाश्त नहीं हुआ। मेरे दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष को भी नोटिस मिला है कि आपका स्टेटमेंट रिकॉर्ड करना है और पुलिस आपके यहाँ आएगी। कौन सा गुनाह कर दिया हमने? अगर बिना ऑक्सीजन किसी की जान जा रही है और ऑक्सीजन का सिलेंडर पहुंचाया गया, क्या ये गुनाह था? अगर किसी को अस्पताल तक पहुंचने के लिए वाहन नहीं मिल रहा है और हमने एंबुलेंस भेज दी, तो क्या हमने गुनाह कर दिया? कोई कोरोना में पूरी फैमिली बर्बाद हो रही है, उसके पास रसोई बनाने वाला कोई नहीं है, उसके घर पर हमने खाना पहुंचा दिया तो क्या हमने कोई गुनाह कर दिया? किसी को कोई दवा नहीं मिल रही है और इधर-उधर हाथ-पैर मारकर अगर हमने उस तक लाइफ सेविंग ड्रग पहुंचा दी, तो क्या हमने गुनाह कर दिया? अगर गुनाह कहीं हुआ है, कहीं क्राइम ब्रांच को या इस देश की पुलिस को या अदालत को पहुंचना चाहिए तो गुजरात में भारतीय जनता पार्टी के स्टेट प्रेसीडेंट 5,000 रेमडेसिविर इंजेक्शन कहाँ से लेकर आए। एक इंजेक्शन के लिए लोगों की जान जा रही थी, उनके पास 5,000 इंजेक्शन कहाँ से आए? आए तो उसने किसको बांटा? आज तक उन्होंने वो साझा नहीं किया है। और वही भाजपा के एक एक्स कॉर्पोरेट का बेटा सूरत में रेमडेसिविर इंजेक्शन का डुप्लीकेट करता हुआ पकड़ा गया है, ये भाजपा का चाल, चलन और चरित्र है। न मेरे एक भी कार्यकर्ता ने एक भी ऐसा करने की कोशिश नहीं की, जिससे जो बन पाया, जैसे सेतु बनता था, तो नील-सुग्रीव जैसे बड़े पर्वत डालते थे और एक पक्षी चोंच में डालकर एक पत्ता या एक गिरोड़ी शरीर को धूल में रगड़कर वहीं लेट जाता था कि थोड़ी सी धूल मैं भी डाल दूँ। मेरे हर कार्यकर्ता ने राहुल गांधी जी के आह्वान पर जनसेवा का काम किया है, और उसके वहाँ जो पुलिस भेजकर वहाँ क्राइम ब्रांच भेजकर अगर मेरे कार्यकर्ता को डराने-धमकाने की कोशिश होगी, तो इससे सुल्तान को और नुकसान होगा। पब्लिक है, सब जानती है। सुल्तान जो नहीं कर पाए, वो हम कर रहे हैं। इसी का सुल्तान को दर्द है।
एक अन्य प्रश्न पर कि हाई कोर्ट ने जो नोटिस दिया था दवाइयों की कालाबाजारी को लेकर, क्या आपको लगता है कि दिल्ली पुलिस की क्राइंम ब्रांच जो जांच कर रही है, वो गलत दिशा में है, श्री गोहिल ने कहा कि सबसे पहले कहाँ शुरु हुआ था। जांच की शुरुआत वहाँ करनी चाहिए, जहाँ पर ऐसी चीजें हों, जिसके पाबंदी हो। 5,000 रेमडेसिविर, जो बिना प्रिस्क्रिप्शन, बिना डॉक्टर, बिना लाइसेंसिंग मेडिकल स्टोर के बेचना, रखना या स्टोर करना गुनाह है। मेरे किसा कार्यकर्ता के पास 5,000 रेमडेसिविर नहीं है। भाजपा के प्रदेश प्रमुख गुजरात के उनके पास था, तो वहाँ जांच क्यों नहीं हो रही है? पहले जांच वहाँ भाजपा के उन एक्स कॉर्पोरेटर के बेटे ने डुप्लीकेट इंजेक्शन बनाकर लोगों को मौत के मुंह में धकेला, वहाँ होनी चाहिए। इन सबके बाद अगर उनको चाहिए, मेरा कार्यकर्ता जवाब देगा, कि मैंने अगर किया है तो क्या किया है। मैंने हजारों रेमडेसिविर इक_ा नहीं किया। मैंने कोई ऑक्सीजन सिलेंडर के पैसे नहीं लिए, मैंने एक दवाई का एक पैसा नहीं लिया, तो ये सिर्फ हमारे वहाँ भेजकर सुल्तान क्या संदेश देना चाहते हैं, वो करें, वो सब लीला और दूसरा कोई सेवा भी करे, तो गुनाह, ये सुल्तान की जो मानसिकता है, इसके खिलाफ हम हैं।
एक अन्य प्रश्न पर कि क्राइम ब्रांच के पुलिस अधिकारी यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष से पूछ रहे हैं कि लोगों को ऑक्सीजन नहीं मिल रहा है, आपको कहाँ से मिल रहा है, दूसरा, इस समय स्टैंडिग कमेटी की मीटिंग बुलाकर छानबीन करनी चाहिए, क्या कहेंगे, श्री गोहिल ने कहा कि स्टैंडिंग कमेटी ने तो अपना काम कर दिया है। स्टैंडिंग कमेटी ने इसके ऊपर एक्सपर्ट्स के साथ और अगर आप पूरी रिपोर्ट देखोगे, तो उसमें बहुत अच्छे से स्टैंडिंग कमेटी ने काम किया है, मैं आपको कुछ पैराग्राफ साझा करता हूँ, और जिन दोस्तों को पूरी कमेटी की रिपोर्ट चाहिए उनको भी मैं साझा करूँगा, पूरी कमेटी की रिपोर्ट। बहुच अच्छे से स्टैंडिंग कमेटी ने आज जो हम दर-दर की ठोकरें खाते हैं, वो उस वक्त 16 अक्टूबर 2020 की मीटिंग में ये बातें हुई और नवम्बर में ये भेजी गई स्पीकर को और चेयरमैन को और उसके बाद वो टेबल हुई, पर टेबल होने से पहले 16 अक्टूबर को सरकार को ये कहा गया था कि आप ये -ये काम कीजिए अगर वो काम किया होता, तो आज ये हालत नहीं होती। मैं तो ये भी मांग करता हूँ, आज ये भी मांग करता हूँ कि स्टैंडिग कमेटी ने कहा था कि पारदर्शिता रखिए वैक्सीन के मामले में। मैं इस देश के सुल्तान से मांग करता हूँ कि आज तक वैक्सीन हमारे देश में जो दो कम्पनियाँ हैं, उसने कितना मैन्युफैक्चरिंग किया, उसमें से कितना विदेश में दे दिया, कितना आपने मंजूर किया बाहर भेजने के लिए और कितना हमारे देश में रखा और ये भी बताइए कि आज वो कितना मैन्युफैक्चरिंग हो रहा है और वहाँ से कहाँ-कहाँ जा रहा है, क्योंकि स्टैंडिंग कमेटी ने तो कह दिया है कि पारदर्शिता होनी चाहिए तो ये सुल्तान हमको बताएं कि ये दोनों कंपनियाँ जो यहाँ पर अभी वैक्सीन बना रही हैं, ये उसका व्हाइट पेपर, एक बताए, साझा करे, ताकि पता चले।
अमेरिका, फर्स्ट वो अमेरिका करता है, वहाँ 80 प्रतिशत, सौ कि आबादी में 80 को वैक्सीन के डोज मिल गए, वहाँ नॉर्मल सी बात है, हमारे गुजरात बहुत हैं अमेरिका में, मैंने ये पीसी करने से पहले उन लोगों से बात की, वहाँ सारा ईज हो गया है, नॉर्मल्सी आ गई है। तो अगर यही काम हम क्यों नहीं कर सकते? हमारे यहाँ, हमारे फॉर्मर प्राइम मिनिस्टर, मनमोहन सिंह जी ने, सोनिया जी ने सुझाव दिया, राहुल जी ने कहा कि यहाँ पर 12 ऐसी मैन्युफैक्चरिंग लैबोरेट्रीज हैं, यहाँ पर ऐसे इंस्टीट्यूट्स हैं, कि आप इनको दे दो, ये बना देंगे, आपके देशवासियों के लिए आपको करना है और हमारे वहाँ जो कानून है, डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट, इसके पास सुल्तान तो अपना पावर मिसयूज करता है, इसमें आवाम के लिए पावर यूज करने के लिए सुल्तान के हाथ में सत्ता है, कर दीजिए इसको। सबको मिल जाए वैक्सीन और अगर आज हो जाता, आज तो सवाल और बहुत बड़े खड़े हो रहे है, अब कह रहे हैं कि एक डोज लिया है और दूसरा आपको तीन महीने के बाद लेना है, तो पहले जिन्होंने 4 हफ्ते में ले लिया, यो पहले 28 दिनों में ले लिया, दोनों डोज ले लिए, तो क्या उसको तीसरा डोज लेना पड़ेगा, ये बताए सुल्तान। आप ये कह रहे हो कि अगर ये डोज नजदीक, नजदीक दे देंगे, दोनो वैक्सीन का तो इससे इम्यूनिटी में फायदा नहीं होता है, तो जिन करोड़ों लोगों ने ये दोनों डोज ले लिए और कम डिस्टेंस में ले लिए हैं, तो उनको तीसरा डोज लेना पड़ेगा क्या, पूछिए तो सही ये साइंटिस्ट्स को। आपने खुद प्रधानमंत्री जी, दोनों डोज छोटे से गैप में ले लिया, तो आपको तीसरा डोज लेना पड़ेगा क्या, बताइए तो सही देशवासियों को।
एक अन्य प्रश्न पर कि अमेरिका के एक प्रमुख साइंटिस्ट हैं डॉ एंथोनी फाउची, उन्होंने कहा है कि अगर आपके पास वैक्सीन नहीं है तो गैप बढ़ाया जा सकता है, दूसरा, किसान सम्मान निधि योजना के तहत आज प्रधानमंत्री ने 8वीं किस्त जारी की है, इस पर कांग्रेस का क्या कहना है, श्री गोहिल ने कहा कि पहला आपका सवाल था उसी में जवाब भी था, क्योंकि अमेरिका के एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर आपने बढा दिया है समय, अगर आपको वैक्सीन नहीं मिलती है पूरी तब तो ठीक है, इसका मतलब क्या हुआ? कि अगर आपको पूरी वैक्सीन मिल रही है, तब ये गैप बढ़ाने की जरुरत नहीं है, पर क्योंकि आपको वैक्सीन नहीं मिल रही है, गैप बढ़ा देंगे तो अच्छा है। सबसे पहले साइंटिस्ट ने कहा कि एक डोज से आप सुरक्षित नहीं हो, आपकी इम्यूनिटी नहीं बढ़ती। हरियाणा के हैल्थ मिनिस्टर को जब फर्स्ट डोज लेने के बाद कोरोना पॉजिटिव आया तो सबने ये कहा कि इन्होंने सिर्फ फर्स्ट डोज लिया है, इसलिए ये सुरक्षित नहीं थे। दोनों डोज के बाद आपकी एंटी बॉडीज बनती है, अगर वो बात सही है, तो आप 4 महीने तक अगर सेकेंड डोज नहीं दोगे, तो आप उस 4 महीने तक फर्स्ट डोज लेने के बाद तो इसलिए एंटी बॉडीज नहीं बनेगी तो आप उसको खुला छोड़ रहे हो, जो सुरक्षित नहीं है और अगर सुरक्षित तभी होता है, जब गैप ज्यादा होना चाहिए तो फर्स्ट और सेकेंड जिन्होंने नजदीक में ले लिया, तो उनको थर्ड डोज देना चाहिए क्योंकि तभी उनकी इम्यूनिटी बढ़ेगी। तो ये जो फ्लिप-फ्लॉप है, ये सुल्तान अपनी नाकामियाँ छुपाने के लिए ये सारी चीजों का खेल करा रहे हैं। क्योंकि आपके सवाल से ये साफ निकलता है कि अमेरिका के एक्सपर्ट ने कहा है कि अगर आपके पास डोज नहीं है, तो टाइम बढ़ा दो तो अच्छा है, इसी में इसका जवाब आ रहा है।
दूसरा आपका सवाल जो किसान वाला है, आप सभी को मैं कहना चाहता हूँ कि देश के इतिहास में कभी ऐसा नहीं हुआ है कि खाद के दाम 46 प्रतिशत से 58 प्रतिशत अलग-अलग खाद में बढ़ा हो, ऐसा आजतक देश की आजादी के इतिहास में कभी नहीं हुआ। डीएपी को खाद है, वो 1,200 रुपए में 50 किलोग्राम मिलता था, 1,900 रुपए हो गया है, उसी तरह से जो अलग-अलग खाद की जो अलग-अलग वैरायटी हैं, उन सभी में 46-58 प्रतिशत दाम बढ़ा दिया है। जीएसटी भी पहली बार लगाया गया है। 250 करोड़ की जीएसटी की इंकम ये बढ़े हुए दामों की वजह से एक्स्ट्रा इंकम सरकार को होगी, मानें आप किसान की जेब पर लूट करते हुए करोड़ों वहाँ से उठा लेते हो और फिर चवन्नी वापस उसकी जेब में डालते हो कि मैं ये किस्त दे रहा हूँ, तो ये देश के किसान का अपमान है और इस देश का किसान अगर सुल्तान ये समझते हैं कि दिमाग मेरे ही पास है, तो मैं सुल्तान को कहना चाहता हूँ कि कड़ी धूप में, खेत में काम करने वाला किसान उसके पास आपसे ज्यादा तेज दिमाग है, और आपने जो लूट मचाई खाद के दामों में और आप चवन्नी दे रहे हो, इससे देश का किसान आपके वोट बैंक नहीं बनेगा।
एक अन्य प्रश्न पर कि प्रधानमंत्री जी ने मुख्यमंत्रियों को बॉयपास कर डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट्स से पैंडेमिक को लेकर बात करने वाले हैं, क्या ये सही है? श्री गोहिल ने कहा कि बिल्कुल नहीं, हमारे संविधान में बहुत अच्छी तरह से स्टेट और सेंट्रल के पावर डिफाइन किए हैं। सीधे डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट से बातहम वैक्सीन की डोज देने में दुनिया के देशों में 77 नंबर पर : शक्ति सिंह गोहिल
नई दिल्ली (श्रीजी एक्सप्रेस)। कांग्रेस के वरिष्इ नेता शक्ति सिंह गोहिल ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि एक हिंदुस्तानी होने के नाते मैं बहुत दुख के साथ कहना चाहता हूं कि आज पूरी दुनिया जो कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई लड़ रही है, उसमें हमारा देश भारत जो 100 की आबादी पर वैक्सीन का डोज देने की, जो दुनिया के देशों की नंबरिंग दी गई है, उसमें हमारा देश 77 नंबर की पायदान पर गिरा हुआ है और इस बात का मुझे भारतीय होने के नाते दुख हो रहा है कि हम वैक्सीन की डोज देने में दुनिया के देशों में 77 नंबर पर नीचे गिरे हुए हैं। ये हमारी हालत है। दुनिया के चार देश ऐसे भी हैं कि जिन्होंने 100 की आबादी पर पूरे 100 डोज दिए हैं या उससे ऊपर भी गए हैं और उन देशों में सेशेल्स, इजरायल, यू.ए.ई और सैन मैरिनो।
अमेरिका और यूके से लेकर मालदीव तक बहुत सारे देश ऐसे हैं कि जिन्होंने 100 की आबादी पर 80 कोरोना वैक्सीन के डोज दिए हैं, मतलब कि 80 प्रतिशत को वो छू चुके हैं या उससे ऊपर गए हुए हैं। ऐसे बहुत सारे देश हैं, जिसमें अमेरिका और यूके से लेकर जैसे मैंने कहा मालदीव तक। हमारे देश में जिनको एक डोज मिला है, ऐसे 100 की आबादी पर 10 लोग हैं, 10 प्रतिशत और जिनको दोनों डोज मिल गया 2.7 प्रतिशत। इन दोनों को हम जोड़ लें, तो हमारा देश कोरोना के वैक्सीन के डोज देने में 13 प्रतिशत का भी आंकड़ा नहीं छु रहा है। और ये सब हमारे देश में हो रहा है, जिस देश के पास वैक्सीन मैन्युफैक्चरिंग की कपैसिटी अव्वल नंबर की है। आज जो दोनों वैक्सीन हमारे देश में बन रही है, वो दोनों इंस्टीट्यूट, दोनों लेबोरेटरी जो हैं, वो मोदी जी के आने से पहले से बनी हुई हैं, वो कहते थे – 70 साल में क्या किया था? तो ये उस वक्त की, वही दोनों लेबोरेटरी में ये वैक्सीन बन रही है। हमारी कपैसिटी बहुत बेहतरीन है और इसी को देखते हुएलजो पार्लियामेंट की हमारी स्टैंडिंग कमेटी है, डिपार्टमेंट रिलेटेड स्टैंडिंग कमेटी, जो हेल्थ की रिलेटेड स्टैंडिंग कमेटी है, उसने 16 अक्टूबर को डिपार्टमेंट के साथ बात की। औऱ उसके बाद ये डिपार्टमेंट को 16 अक्टूबर, 2020 को कहा गया कि इस देश में वैक्सीन जो पैदा हो रहा है या जहाँ पर जो कर रहे हैं, उसकी आप युद्ध के तौर पर इसकी बढ़ोतरी कीजिए, जल्द से जल्द इसमें बढ़ोतरी कीजिए। अक्टूबर, 2020 को स्टैंडिंग कमेटी ने कहा और ये भी कहा कि ज्यादा से ज्यादा सब्सिडी दीजिए। स्टैंडिंग कमेटी ने ये भी कहा कि हर देशवासी को सरकार ये सुनिश्चित करे कि देश के हर नागरिक को ये वैक्सीन देनी चाहिए। ये बात स्टैंडिंग कमेटी की सरकार ने क्यों नहीं मानी? सवाल वहाँ पर उठता है। अगर वो बात मान ली होती, तो आज पूरी दुनिया में जिन देशों ने अच्छे से वैक्सीन किया 100 से 60 से या ऊपर नंबर तक गए हैं, वहाँ पर ना महामारी से किसी की जान जा रही है ज्यादा औऱ ना ही वहाँ पर कोई लॉकडाउन या दूसरे साधन की ज़रुरत हो रही है। वहाँ नॉर्मल लाइफ है। अगर स्टैंडिंग कमेटी ने, मैं आपको उसकी प्रतिलिपि सभी मीडिया के साथियों को और पब्लिक डोमेन में रखता हूं। तो उस स्टैंडिंग कमेटी में भाजपा के ज्यादा लोग थे, मतलब सभी पार्टी की पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमेटी है। उसमें ये कहा गया था उस बात को।
हमारे देश का इतिहास रहा है। हमने जैसे चेचला, या गुजरात में या बिहार में शीतला कहते हैं, वो आया या पोलियो आया। इसका वैक्सीन जब हमने शुरु किया, ना स्मार्ट फोन था, ना इंटरनेट था और हमारे देश ने चाहे वो चेचला हो या पोलियो हो या दूसरे वैक्सीन देने की बात आई, तो पूरी दुनिया में भारत को बहुत गौर के साथ दुनिया ने बधाई दी कि आपने जो काम किया है, वो बेहतरीन काम किया। वही देश आज इतनी बुरी हालत से क्यों गुजर रहा है? दुनिया के जिन देशों ने वैक्सीन बनाई या बनाने की जिनकी क्षमता थी, उन्होंने पहले अपने देश के नागरिकों की चिंता की। अमेरिका जैसे समृद्ध देश ने ये एक पॉलिसी बनाई, अमेरिका पहले। अमेरिका ने जब अपने देश के नागरिकों को पूरी तरह से जब तक आसानी से डोज ना मिले, ऐसी व्यवस्था ना हुई, तब तक एक डोज भी वैक्सीन की अमेरिका ने बाहर नहीं जाने दिया।
मेरा सीधा सवाल सरकार से है कि आपने करोड़ों कोरोना की वैक्सीनेशन डोज अगर मेरे गुजरात की 6 करोड़ की आबादी है, अगर आप डोज की पूरी की पूरी, पैदा हुआ, वहाँ से वृद्ध आदमी है, सबको अगर वैक्सीन दे देते, तब भी आपके पास वैक्सीन बचती। इतनी वैक्सीन तो आपने बाहर के देशों को दे दी। क्यों आपको चिंता नहीं हुई कि बाहर के देश में जो बेच रहे हैं, पहले मेरे देशवासी को मिलना चाहिए? अगर अमेरिका कहता है कि अमेरिका पहले, पहले अमेरिकन को वैक्सीन का डोज मिलेगा, तो मेरा देश क्यों नहीं कह सकता है कि ढ्ढठ्ठस्रद्बड्ड द्घद्बह्म्ह्यह्ल, पहले भारतवासी को पहले डोज मिलेगा? करोड़ों डोज बाहर भेज दिए और आज मेरे देश का हर नागरिक एक वैक्सीन का डोज लेने के लिए दर-दर की ठोकर क्यों खाए? कौन है इसके लिए जिम्मेदार? जैसे इस दिल्ली की गद्दी पर एक सुल्तान आया था, तुगलक कहा जाता है उसको। जिसने दिल्ली से दौलताबाद किया और फिर दौलताबाद से राजधानी दिल्ली किया। उसी तरह से हमारे प्रधानमंत्री ने भी हमारे देश से करोडों डोज वैक्सीन के पहले बाहर भेज दिए, अब बाहर के देशों से वही डोज वापस ला रहे हैं। ये तुगलक की तरह हमारे देश के सुल्तान जो काम कर रहे हैं, इससे देश बर्बाद हो रहा है।
मेरे हमारे प्रधानमंत्री जी से कुछ सवाल हैं –
मेरा पहला सवाल है कि आपने ढ्ढठ्ठस्रद्बड्ड द्घद्बह्म्ह्यह्ल, अमेरिका की तरह क्यों नहीं किया? आपने क्यों वैक्सीन बाहर भेजी, जब देशवासियों को जरुरत थी?
मेरा दूसरा सवाल है कि देश की संसद की पार्लियामेंट्री कमेटी ने, स्टैंडिंग कमेटी ने 16 अक्टूबर को आपको कहा था कि देशवासी को पहले वैक्सीन का डोज मिले, इसलिए आप इसमें पूरी तरह से एक तो पारदर्शिता लाइए। तीन बातें की थी, तीनों पैराग्राफ मैं आपको भेज रहा हूं। पहली बात थी -पारदर्शिता लाओ। दूसरी बात थी – युद्ध के तौर पर मैन्युफैक्चरिंग डोज का बढ़ाओ। तीसरा बात थी कि आप पूरी सब्सिडी दो और पूरे देश को वैक्सीन हर नागरिक को मिले, उसका इंतजाम हो। ये क्यों नहीं किया, इसका जवाब प्रधानमंत्री जी दें?
मेरा तीसरा सवाल, बिहार का चुनाव था, आपके वित्त मंत्री ने और आपने अनाउंस किया था कि पूरे देश में भारत सरकार मतलब सेंट्रल गवर्मेंट फ्री में वैक्सीन देगी। ये क्या जुमला था आपका? आज क्यों आप राज्यों के ऊपर बर्डन डाल रहे हैं? आपने तो पहले ये कहा था तो राज्य भी सभी स्टेट मान कर चल रहे थे कि 100 प्रतिशत भारत सरकार और आपका बजट का प्रावधान भी था, राज्यों ने अपने बजट में प्रावधान भी नहीं किया क्योंकि आप फ्री पूरे देश को देने वाले थे। अब आप अपने पाप का ठीकरा स्टेट गवर्मेंट्स के सिर पर क्यों फोड़ रहे हो? इसका जवाब दीजिए।
मेरा एक और सवाल है कि आज जिस तरह से आप कन्फ्यूजन पैदा करते हो, उससे बाहर क्यों नहीं निकलते? पहले आपने जुमला दिया कि मित्रों, 21 दिन में कोरोना को जीत लेंगे, हुआ नहीं। आपने कहा कि जो जहाँ है, वहीं रहे – जान है तो जहान है। लॉकडाउन भी जरुरी है। पर अब कहते हैं कि मरना है तो मरो, नेशनवाइड लॉकडाउन नहीं करेंगे, क्यों? हर रोज का लेकर हर रोज खाने वाला है, उसके खाते में सीधे पैसे न्याय योजना की तरह क्यों नहीं डाल रहे? आप किसान को बर्बाद होते हुए देख रहे हैं, उसकी जेब से लूट रहे हैं और फिर चव्वनी जेब में डालने के लिए आप मीडिया के सामने लाइव होते हो, आपने क्यों खाद की कीमतों में 46 ह्लश 58त्न बढ़ोतरी क्यों की? इसका जवाब दीजिए। 1400 हजार करोड़ आपने फार्मर के ऊपर बोझ क्यों डाला? इसका जवाब दीजिए और उसके बाद चव्वनी वापस करने की बात करते हो, इसका जवाब देश को दीजिए।
एक प्रश्न पर कि आज यूथ कांग्रेस के दफ्तर पर दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की टीम ने पहुँचकर पूछताछ की, क्या कहेंगे, श्री शक्ति सिंह गोहिल ने कहा कि इस देश के सुल्तान ने खुद मदद नहीं की और जो कोई इधर उधर से जनसेवा के लिए निकला, वो भी इस देश के सुल्तान से बर्दाश्त नहीं हो रहा है और खासकर कांग्रेस पार्टी कोई अच्छा काम कर रही है, जिससे यहाँ सोशल मीडिया में सराहना होती सुनाई दी। इंटरनेशनल लेवल पर भी यूथ कांग्रेस के साथियों का, कांग्रेस के लोगों की जनसेवा कोरोना के दौरान जो हो रही है, उसकी सराहना हो रही है तो सुल्तान से शायद ये बर्दाश्त नहीं हुआ। मेरे दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष को भी नोटिस मिला है कि आपका स्टेटमेंट रिकॉर्ड करना है और पुलिस आपके यहाँ आएगी। कौन सा गुनाह कर दिया हमने? अगर बिना ऑक्सीजन किसी की जान जा रही है और ऑक्सीजन का सिलेंडर पहुंचाया गया, क्या ये गुनाह था? अगर किसी को अस्पताल तक पहुंचने के लिए वाहन नहीं मिल रहा है और हमने एंबुलेंस भेज दी, तो क्या हमने गुनाह कर दिया? कोई कोरोना में पूरी फैमिली बर्बाद हो रही है, उसके पास रसोई बनाने वाला कोई नहीं है, उसके घर पर हमने खाना पहुंचा दिया तो क्या हमने कोई गुनाह कर दिया? किसी को कोई दवा नहीं मिल रही है और इधर-उधर हाथ-पैर मारकर अगर हमने उस तक लाइफ सेविंग ड्रग पहुंचा दी, तो क्या हमने गुनाह कर दिया? अगर गुनाह कहीं हुआ है, कहीं क्राइम ब्रांच को या इस देश की पुलिस को या अदालत को पहुंचना चाहिए तो गुजरात में भारतीय जनता पार्टी के स्टेट प्रेसीडेंट 5,000 रेमडेसिविर इंजेक्शन कहाँ से लेकर आए। एक इंजेक्शन के लिए लोगों की जान जा रही थी, उनके पास 5,000 इंजेक्शन कहाँ से आए? आए तो उसने किसको बांटा? आज तक उन्होंने वो साझा नहीं किया है। और वही भाजपा के एक एक्स कॉर्पोरेट का बेटा सूरत में रेमडेसिविर इंजेक्शन का डुप्लीकेट करता हुआ पकड़ा गया है, ये भाजपा का चाल, चलन और चरित्र है। न मेरे एक भी कार्यकर्ता ने एक भी ऐसा करने की कोशिश नहीं की, जिससे जो बन पाया, जैसे सेतु बनता था, तो नील-सुग्रीव जैसे बड़े पर्वत डालते थे और एक पक्षी चोंच में डालकर एक पत्ता या एक गिरोड़ी शरीर को धूल में रगड़कर वहीं लेट जाता था कि थोड़ी सी धूल मैं भी डाल दूँ। मेरे हर कार्यकर्ता ने राहुल गांधी जी के आह्वान पर जनसेवा का काम किया है, और उसके वहाँ जो पुलिस भेजकर वहाँ क्राइम ब्रांच भेजकर अगर मेरे कार्यकर्ता को डराने-धमकाने की कोशिश होगी, तो इससे सुल्तान को और नुकसान होगा। पब्लिक है, सब जानती है। सुल्तान जो नहीं कर पाए, वो हम कर रहे हैं। इसी का सुल्तान को दर्द है।
एक अन्य प्रश्न पर कि हाई कोर्ट ने जो नोटिस दिया था दवाइयों की कालाबाजारी को लेकर, क्या आपको लगता है कि दिल्ली पुलिस की क्राइंम ब्रांच जो जांच कर रही है, वो गलत दिशा में है, श्री गोहिल ने कहा कि सबसे पहले कहाँ शुरु हुआ था। जांच की शुरुआत वहाँ करनी चाहिए, जहाँ पर ऐसी चीजें हों, जिसके पाबंदी हो। 5,000 रेमडेसिविर, जो बिना प्रिस्क्रिप्शन, बिना डॉक्टर, बिना लाइसेंसिंग मेडिकल स्टोर के बेचना, रखना या स्टोर करना गुनाह है। मेरे किसा कार्यकर्ता के पास 5,000 रेमडेसिविर नहीं है। भाजपा के प्रदेश प्रमुख गुजरात के उनके पास था, तो वहाँ जांच क्यों नहीं हो रही है? पहले जांच वहाँ भाजपा के उन एक्स कॉर्पोरेटर के बेटे ने डुप्लीकेट इंजेक्शन बनाकर लोगों को मौत के मुंह में धकेला, वहाँ होनी चाहिए। इन सबके बाद अगर उनको चाहिए, मेरा कार्यकर्ता जवाब देगा, कि मैंने अगर किया है तो क्या किया है। मैंने हजारों रेमडेसिविर इक_ा नहीं किया। मैंने कोई ऑक्सीजन सिलेंडर के पैसे नहीं लिए, मैंने एक दवाई का एक पैसा नहीं लिया, तो ये सिर्फ हमारे वहाँ भेजकर सुल्तान क्या संदेश देना चाहते हैं, वो करें, वो सब लीला और दूसरा कोई सेवा भी करे, तो गुनाह, ये सुल्तान की जो मानसिकता है, इसके खिलाफ हम हैं।
एक अन्य प्रश्न पर कि क्राइम ब्रांच के पुलिस अधिकारी यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष से पूछ रहे हैं कि लोगों को ऑक्सीजन नहीं मिल रहा है, आपको कहाँ से मिल रहा है, दूसरा, इस समय स्टैंडिग कमेटी की मीटिंग बुलाकर छानबीन करनी चाहिए, क्या कहेंगे, श्री गोहिल ने कहा कि स्टैंडिंग कमेटी ने तो अपना काम कर दिया है। स्टैंडिंग कमेटी ने इसके ऊपर एक्सपर्ट्स के साथ और अगर आप पूरी रिपोर्ट देखोगे, तो उसमें बहुत अच्छे से स्टैंडिंग कमेटी ने काम किया है, मैं आपको कुछ पैराग्राफ साझा करता हूँ, और जिन दोस्तों को पूरी कमेटी की रिपोर्ट चाहिए उनको भी मैं साझा करूँगा, पूरी कमेटी की रिपोर्ट। बहुच अच्छे से स्टैंडिंग कमेटी ने आज जो हम दर-दर की ठोकरें खाते हैं, वो उस वक्त 16 अक्टूबर 2020 की मीटिंग में ये बातें हुई और नवम्बर में ये भेजी गई स्पीकर को और चेयरमैन को और उसके बाद वो टेबल हुई, पर टेबल होने से पहले 16 अक्टूबर को सरकार को ये कहा गया था कि आप ये -ये काम कीजिए अगर वो काम किया होता, तो आज ये हालत नहीं होती। मैं तो ये भी मांग करता हूँ, आज ये भी मांग करता हूँ कि स्टैंडिग कमेटी ने कहा था कि पारदर्शिता रखिए वैक्सीन के मामले में। मैं इस देश के सुल्तान से मांग करता हूँ कि आज तक वैक्सीन हमारे देश में जो दो कम्पनियाँ हैं, उसने कितना मैन्युफैक्चरिंग किया, उसमें से कितना विदेश में दे दिया, कितना आपने मंजूर किया बाहर भेजने के लिए और कितना हमारे देश में रखा और ये भी बताइए कि आज वो कितना मैन्युफैक्चरिंग हो रहा है और वहाँ से कहाँ-कहाँ जा रहा है, क्योंकि स्टैंडिंग कमेटी ने तो कह दिया है कि पारदर्शिता होनी चाहिए तो ये सुल्तान हमको बताएं कि ये दोनों कंपनियाँ जो यहाँ पर अभी वैक्सीन बना रही हैं, ये उसका व्हाइट पेपर, एक बताए, साझा करे, ताकि पता चले।
अमेरिका, फर्स्ट वो अमेरिका करता है, वहाँ 80 प्रतिशत, सौ कि आबादी में 80 को वैक्सीन के डोज मिल गए, वहाँ नॉर्मल सी बात है, हमारे गुजरात बहुत हैं अमेरिका में, मैंने ये पीसी करने से पहले उन लोगों से बात की, वहाँ सारा ईज हो गया है, नॉर्मल्सी आ गई है। तो अगर यही काम हम क्यों नहीं कर सकते? हमारे यहाँ, हमारे फॉर्मर प्राइम मिनिस्टर, मनमोहन सिंह जी ने, सोनिया जी ने सुझाव दिया, राहुल जी ने कहा कि यहाँ पर 12 ऐसी मैन्युफैक्चरिंग लैबोरेट्रीज हैं, यहाँ पर ऐसे इंस्टीट्यूट्स हैं, कि आप इनको दे दो, ये बना देंगे, आपके देशवासियों के लिए आपको करना है और हमारे वहाँ जो कानून है, डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट, इसके पास सुल्तान तो अपना पावर मिसयूज करता है, इसमें आवाम के लिए पावर यूज करने के लिए सुल्तान के हाथ में सत्ता है, कर दीजिए इसको। सबको मिल जाए वैक्सीन और अगर आज हो जाता, आज तो सवाल और बहुत बड़े खड़े हो रहे है, अब कह रहे हैं कि एक डोज लिया है और दूसरा आपको तीन महीने के बाद लेना है, तो पहले जिन्होंने 4 हफ्ते में ले लिया, यो पहले 28 दिनों में ले लिया, दोनों डोज ले लिए, तो क्या उसको तीसरा डोज लेना पड़ेगा, ये बताए सुल्तान। आप ये कह रहे हो कि अगर ये डोज नजदीक, नजदीक दे देंगे, दोनो वैक्सीन का तो इससे इम्यूनिटी में फायदा नहीं होता है, तो जिन करोड़ों लोगों ने ये दोनों डोज ले लिए और कम डिस्टेंस में ले लिए हैं, तो उनको तीसरा डोज लेना पड़ेगा क्या, पूछिए तो सही ये साइंटिस्ट्स को। आपने खुद प्रधानमंत्री जी, दोनों डोज छोटे से गैप में ले लिया, तो आपको तीसरा डोज लेना पड़ेगा क्या, बताइए तो सही देशवासियों को।
एक अन्य प्रश्न पर कि अमेरिका के एक प्रमुख साइंटिस्ट हैं डॉ एंथोनी फाउची, उन्होंने कहा है कि अगर आपके पास वैक्सीन नहीं है तो गैप बढ़ाया जा सकता है, दूसरा, किसान सम्मान निधि योजना के तहत आज प्रधानमंत्री ने 8वीं किस्त जारी की है, इस पर कांग्रेस का क्या कहना है, श्री गोहिल ने कहा कि पहला आपका सवाल था उसी में जवाब भी था, क्योंकि अमेरिका के एक्सपर्ट कहते हैं कि अगर आपने बढा दिया है समय, अगर आपको वैक्सीन नहीं मिलती है पूरी तब तो ठीक है, इसका मतलब क्या हुआ? कि अगर आपको पूरी वैक्सीन मिल रही है, तब ये गैप बढ़ाने की जरुरत नहीं है, पर क्योंकि आपको वैक्सीन नहीं मिल रही है, गैप बढ़ा देंगे तो अच्छा है। सबसे पहले साइंटिस्ट ने कहा कि एक डोज से आप सुरक्षित नहीं हो, आपकी इम्यूनिटी नहीं बढ़ती। हरियाणा के हैल्थ मिनिस्टर को जब फर्स्ट डोज लेने के बाद कोरोना पॉजिटिव आया तो सबने ये कहा कि इन्होंने सिर्फ फर्स्ट डोज लिया है, इसलिए ये सुरक्षित नहीं थे। दोनों डोज के बाद आपकी एंटी बॉडीज बनती है, अगर वो बात सही है, तो आप 4 महीने तक अगर सेकेंड डोज नहीं दोगे, तो आप उस 4 महीने तक फर्स्ट डोज लेने के बाद तो इसलिए एंटी बॉडीज नहीं बनेगी तो आप उसको खुला छोड़ रहे हो, जो सुरक्षित नहीं है और अगर सुरक्षित तभी होता है, जब गैप ज्यादा होना चाहिए तो फर्स्ट और सेकेंड जिन्होंने नजदीक में ले लिया, तो उनको थर्ड डोज देना चाहिए क्योंकि तभी उनकी इम्यूनिटी बढ़ेगी। तो ये जो फ्लिप-फ्लॉप है, ये सुल्तान अपनी नाकामियाँ छुपाने के लिए ये सारी चीजों का खेल करा रहे हैं। क्योंकि आपके सवाल से ये साफ निकलता है कि अमेरिका के एक्सपर्ट ने कहा है कि अगर आपके पास डोज नहीं है, तो टाइम बढ़ा दो तो अच्छा है, इसी में इसका जवाब आ रहा है।
दूसरा आपका सवाल जो किसान वाला है, आप सभी को मैं कहना चाहता हूँ कि देश के इतिहास में कभी ऐसा नहीं हुआ है कि खाद के दाम 46 प्रतिशत से 58 प्रतिशत अलग-अलग खाद में बढ़ा हो, ऐसा आजतक देश की आजादी के इतिहास में कभी नहीं हुआ। डीएपी को खाद है, वो 1,200 रुपए में 50 किलोग्राम मिलता था, 1,900 रुपए हो गया है, उसी तरह से जो अलग-अलग खाद की जो अलग-अलग वैरायटी हैं, उन सभी में 46-58 प्रतिशत दाम बढ़ा दिया है। जीएसटी भी पहली बार लगाया गया है। 250 करोड़ की जीएसटी की इंकम ये बढ़े हुए दामों की वजह से एक्स्ट्रा इंकम सरकार को होगी, मानें आप किसान की जेब पर लूट करते हुए करोड़ों वहाँ से उठा लेते हो और फिर चवन्नी वापस उसकी जेब में डालते हो कि मैं ये किस्त दे रहा हूँ, तो ये देश के किसान का अपमान है और इस देश का किसान अगर सुल्तान ये समझते हैं कि दिमाग मेरे ही पास है, तो मैं सुल्तान को कहना चाहता हूँ कि कड़ी धूप में, खेत में काम करने वाला किसान उसके पास आपसे ज्यादा तेज दिमाग है, और आपने जो लूट मचाई खाद के दामों में और आप चवन्नी दे रहे हो, इससे देश का किसान आपके वोट बैंक नहीं बनेगा।
एक अन्य प्रश्न पर कि प्रधानमंत्री जी ने मुख्यमंत्रियों को बॉयपास कर डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट्स से पैंडेमिक को लेकर बात करने वाले हैं, क्या ये सही है? श्री गोहिल ने कहा कि बिल्कुल नहीं, हमारे संविधान में बहुत अच्छी तरह से स्टेट और सेंट्रल के पावर डिफाइन किए हैं। सीधे डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट से बात करना प्रधानमंत्री जी का फेडरल स्ट्रक्चर पर हमला है और संविधान का अपमान है। अगर आप हमारे संविधान सभा की डिबेट को देखेंगे, तो बाबा साहब अंबेडकर की अध्यक्षता में जो ड्राफ्टिंग कमेटी बनी थी, उसने उस संविधान सभा में जो चर्चाएं हुई, उनका आधार लेते हुए ये साफ किया था और हमारे वहाँ संविधान सभा में भी द्वशह्म्द्ग श1द्गह्म् द्यद्गह्यह्य यूनेनिमस बात थी कि द्वशह्म्द्ग श्चश2द्गह्म् ह्लश ह्लद्धद्ग ह्यह्लड्डह्लद्गह्य राज्यों को ज्यादा सत्ता दो और राज्यों के अधिकारों पर हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। अब सुल्तान सीधे डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट से बात करके ये संदेश देना चाहते हैं कि मैं देश का सुल्तान हूं, मेरे बीच कोई नहीं, मैं सीधे डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट तक पहुंच सकता हूं। ये डेमोक्रेसी नहीं है या सुल्तानगिरी है और संविधान का अपमान है और ऐसा नहीं होना चाहिए। राज्यों को जो देना है, वो तो आप देते नहीं हो, वो करते नहीं हो और आप वो चीज करते हो, जो आपको नहीं करनी चाहिए। यहाँ पर गुजरात में जो फंगल इंफेक्शन हो रहा है, उसके केस बहुत बढ़ रहे हैं। बात करें गुजरात के मुख्यमंत्री से डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट की बजाए। आज गुजरात में एक इंजेक्शन के लिए एक-एक मरीज दर-दर की ठोकरें खाता है और चीफ मिनिस्टर कहता है कि मैं क्या करुं, भारत सरकार इसके लिए मुझे मदद चाहिए, वो कर नहीं रही है। तो मैं तो फिर इसकी जगह टेबलेट देना शुरु करुंगा। मेडिकल साइंस कहता है कि जहाँ जो इंजेक्शन जरुरी है, वहाँ इंजेक्शन चाहिए। तो सुल्तान को जो अपना काम करना चाहिए, वो करना चाहिए और फेडरल स्ट्रक्चर को डैमेज नहीं करना चाहिए। ये हमारा स्पष्ट मानना है।
करना प्रधानमंत्री जी का फेडरल स्ट्रक्चर पर हमला है और संविधान का अपमान है। अगर आप हमारे संविधान सभा की डिबेट को देखेंगे, तो बाबा साहब अंबेडकर की अध्यक्षता में जो ड्राफ्टिंग कमेटी बनी थी, उसने उस संविधान सभा में जो चर्चाएं हुई, उनका आधार लेते हुए ये साफ किया था और हमारे वहाँ संविधान सभा में भी द्वशह्म्द्ग श1द्गह्म् द्यद्गह्यह्य यूनेनिमस बात थी कि द्वशह्म्द्ग श्चश2द्गह्म् ह्लश ह्लद्धद्ग ह्यह्लड्डह्लद्गह्य राज्यों को ज्यादा सत्ता दो और राज्यों के अधिकारों पर हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। अब सुल्तान सीधे डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट से बात करके ये संदेश देना चाहते हैं कि मैं देश का सुल्तान हूं, मेरे बीच कोई नहीं, मैं सीधे डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट तक पहुंच सकता हूं। ये डेमोक्रेसी नहीं है या सुल्तानगिरी है और संविधान का अपमान है और ऐसा नहीं होना चाहिए। राज्यों को जो देना है, वो तो आप देते नहीं हो, वो करते नहीं हो और आप वो चीज करते हो, जो आपको नहीं करनी चाहिए। यहाँ पर गुजरात में जो फंगल इंफेक्शन हो रहा है, उसके केस बहुत बढ़ रहे हैं। बात करें गुजरात के मुख्यमंत्री से डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट की बजाए। आज गुजरात में एक इंजेक्शन के लिए एक-एक मरीज दर-दर की ठोकरें खाता है और चीफ मिनिस्टर कहता है कि मैं क्या करुं, भारत सरकार इसके लिए मुझे मदद चाहिए, वो कर नहीं रही है। तो मैं तो फिर इसकी जगह टेबलेट देना शुरु करुंगा। मेडिकल साइंस कहता है कि जहाँ जो इंजेक्शन जरुरी है, वहाँ इंजेक्शन चाहिए। तो सुल्तान को जो अपना काम करना चाहिए, वो करना चाहिए और फेडरल स्ट्रक्चर को डैमेज नहीं करना चाहिए। ये हमारा स्पष्ट मानना है।

Post By Saurabh varshney

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