संपादकीय

अहिंसा परमो:धर्म्  के भाव वाले भारत में हिंसा चिंतनीय

शक्तिशाली साम्राज्य के विरुद्ध भारत ने अहिंसा और सत्याग्रह के शस्त्रों से स्वतंत्रता दिलाकर विश्व को नई दिशा दिखाई, वहां हिंसाग्रह चिंतनीय!! – एड किशन भावनानी
गोंदिया – अंतरराष्ट्रीय स्तरपर सर्वविदित है कि भारत सदियों से संस्कृति, सभ्यता, आध्यात्मिकता और अहिंसा का पुजारी रहा है। भारत के मूल में ही सत्य, अहिंसा  बलिदान किसी भी बात को मनवाने या विरोध करने का मूलभूत भारतीय अस्त्र सत्याग्रह रूपी खास मंत्र सैकड़ों वर्षो से भारत की मिट्टी में समाया हुआ है, जिसका प्रयोग महात्मा गांधी ने भारत को स्वतंत्रता दिलाने में महत्वपूर्ण प्रयोग किया था जिसमें सविनय अवज्ञा, असहयोग, हिजरत, सामाजिक बहिष्कार, हड़ताल, धरना, उपवास के बल पर सत्याग्रह कर अपने मन वचन या कर्म से विरोध के प्रति हिंसा का भाव नहीं रखा तथा प्रत्येक कष्ट को सहन करने की असीम शक्ति सत्याग्रही में कूट-कूट कर भरी थी। विरोध प्रदर्शन पर क्रोध, अपमान नहीं किया जाना, पुलिस द्वारा पकड़ने पर खुद गिरफ्तारी सहित अनेक रचनात्मक कार्य और शारीरिक श्रम को सत्याग्रह के रूप में किया जाता था। वह भी एक जमाना था!! परंतु समय का चक्र ऐसा बदला कि सामान्य पुराने युग के जमाने से हम डिजिटल युग में आ गए और विरोध प्रदर्शन, सत्याग्रह से हिंसाग्रह की ओर आ गए आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से जो टीवी चैनलों की रिपोर्ट पर आधारित है कुछ दिनों पूर्व से तीव्रता से अपडेटेड तीन घटनाओं की चर्चा करेंगे जिसकी खनक आज भी हिंसात्मक वारदात के रूप में ज़रूर है।
साथियों बात अगर हम दिनांक 16 जून 2022 की करें तो दो दिनों पूर्व ही, केन्‍द्रीय रक्षामंत्री ने अग्निपथ स्‍कीम की घोषणा की थी अब सोचा भी नहीं होगा कि इतनी हिंसात्मक स्थिति उत्पन्न होगी, जिसके तहत युवाओं को 4 साल की अवधि के लिए सशस्‍त्र सेनाओं में कमीशन पर भर्ती किया जाएगा। इस दौरान पहले साल तीस हज़ार रुपए से लेकर चौथे साल चालीस हज़ार तक का वेतन अग्निवीरों को दिया जाएगा, इसके अलावा जोखिम,राशन वर्दी और उपयुक्‍त यात्रा भत्‍ता भीदिया जाएगा,केंद्र की अग्निपथ योजना के तहत इस साल 46 हजार युवाओं को सहस्त्र बलों में शामिल किया जाना है, योजना के मुताबिक युवाओं की भर्ती चार साल के लिए होगी और उन्हें ‘अग्निवीर’ कहा जाएगा। अग्निवीरों की उम्र 17 से 21 वर्ष के बीच होगीजो देर रात घोषणा के अनुसार सिर्फ एक वर्ष के लिए अब 23 वर्ष की गई है और 30-40 हजार प्रतिमाह वेतन मिलेगा। योजना के मुताबिक भर्ती हुए 25 फीसदी युवाओं को सेना में आगे मौका मिलेगा और बाकी 75 फीसदी को नौकरी छोड़नी पड़ेगी।जिनको अन्य सेक्टर में काम मिलने मिलने की संभावना रहेगी और उनको स्नातक डिग्री का दर्जा भी दिया जा सकता है।
साथियों अग्निपथ योजना के खिलाफ बिहार से शुरु हुआ विरोध-प्रदर्शन अब तक 7 राज्यों में पहुंच गया है।बिहार के अलावा यूपी, एमपी, हरियाणा, उत्तराखंड और राजस्थान से भी युवाओं के उग्र प्रदर्शन की खबरें सामने आ रही है। मोटे तौर पर सेना में केवल चार सालों की भर्ती योजना को लेकर छात्रों में खासा आक्रोश है। मंगलवार को इसकी घोषणा के अगले ही दिन से बिहार के कई शहरों में विरोध-प्रदर्शन शुरु हो गये। अब ये प्रदर्शन कई शहरों में फैल गया और मुख्य तौर पर रेलवे की संपत्ति को निशाना बनाया जा रहा है। प्रदर्शन की वजह से रेलवे ने 22 ट्रेनें कैंसिल कर दी हैं और यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। सत्ताधारी पार्टी के नेताओं और उनके ऑफिसों को भी निशाना बनाया जा रहा है यह हिंसा का भाव चिंतनीय है।
साथिया बात अगर हम नेशनल हेराल्ड केस की करें तो 13 से 15 जून तक मुख्य विपक्षी पार्टी के नेता से ईडी द्वारा पूछताछ की करें तो, उनसे तीन दिन(13-15 जून) में 30 घंटे पूछताछ की गई। इस पूछताछ से खफा पार्टी ने 16 जून को विभिन्न राज्यों में राजभवनों के घेराव का ऐलान किया था। चुंकि जवाबों से ईडी के अधिकारी अभी भी संतुष्ट नहीं है। लिहाजा उन्हें 17 जून को फिर बुलाया गया था जो उनकी अपील पर अब 20 जून किया गया है इस दौरान पार्टी नेताओं और कार्यकताओं का प्रदर्शन चलता रहा। इस बीच युवा नेता की गिरफ्तारी की अटकलें चलती रहीं। पार्टी नेता के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल लोकसभा अध्यक्ष से मिलने के लिए संसद पहुंचा। उन्होंने कहा-हम पर जिस तरह से अत्याचार और हिंसा हुई है और होने वाली है उसके बारे में हमने विस्तृत जानकारी लोकसभा अध्यक्ष को दिया है। दफ्तर में जाते हुए हमारे कार्यकर्ताओं और सांसदों पर जिस तरह से पुलिस ने हमला किया उससे उन्हें काफी गहरी चोट लगी है। थाने में पुलिस ने हमारे कार्यकर्ताओं और सांसदो के साथ ऐसा बर्ताव किया जैसे हम आतंकवादी हैं। हमें किसी भी पूछताछ से कोई समस्या नहीं है। हम तो बस यही कहना चाहते हैं कि जो भी करो उसमें बदले और हिंसा की राजनीति ना करो। ईडी की कार्रवाई के खिलाफ दूसरे दिन भी विरोध प्रदर्शन जारी रहा।
साथियों बात अगर हम एक पार्टी के प्रवक्ता द्वारा विवादित बयान पर हिंसा की करें तो, बयान को लेकर उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, झारखंड, कर्नाटक और दिल्ली जैसे राज्यों में विरोध प्रदर्शन, पथराव और हिंसा देखी गई। वहीं इस मामले में पार्टी ने कार्रवाई करते हुए प्रवक्ता को निलंबित कर दिया था और एक दूसरे नेता को पार्टी से निष्कासित कर दिया था। पूर्व प्रवक्ता के खिलाफ देश के अलग-अलग राज्यों में भी कई एफआईआर दर्ज की गई हैं।
साथियों विवादित बयान को लेकर झारखंड के रांची में भी विरोध प्रदर्शन किया गया था, देखते ही देखते इस विरोध प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया था। शहर के हिंसा प्रभावित इलाकों में कर्फ्यू लगा दिया गया था। विरोध के दौरान सड़क पर गोलीबारी किए जाने की जानकारी भी सामने आई है। हिंसक भीड़ ने विरोध जताते हुए वाहनों को आग के हवाले कर दिया। प्रदर्शनकारियों ने तोड़फोड़ और पथराव भी किया था। दिए गए कथित विवादित बयान को लेकर अब भी तनाव का माहौल बना हुआ है। कई राज्यों से हिंसा की घटनाएं सामने आ चुकी है।
पूर्व प्रवक्ता के बयान को लेकर कई खाड़ी देश अपनी नाराजगी जता चुके हैं, इस बीच संयुक्त राष्ट्र ने भी भारत से अपील की है वे इन हिंसाओं को रोकें। कथित विवादित बयान पर एक सवाल के जवाब में यूएन के महासचिव के प्रवक्ता ने जवाब दिया है, उन्होंने इस मामले पर भारत से अपील की है कि भारत सरकार द्वारा भारत में धर्म, मतभेद और घृणा आधारित हिंसा की घटनाओं को रोका जाए। प्रवक्ता ने बताया कि महासचिव ने धर्म के पूर्ण सम्मान की बात कही है।
साथियों बात अगर हम सत्याग्रह की करें तो, सत्याग्रह का शाब्दिक अर्थ है सत्य के लिए आग्रह करना। असत्य के समक्ष न झुकने वाला और सत्य प्राप्ति के लिए बलिदान करने वाला वास्तव मे सत्याग्रह है। सत्याग्रह आत्मा की शक्ति है।भारत मे अंग्रेजी शासन के खिलाफ तथा सामाजिक कुरीतियों के विरुद्ध संघर्ष मे किया। नमक सत्याग्रह, डांडी-मार्च, भारत छोड़ो आन्दोलन, करो या मरो के मंत्र के रूप मे यह हर भारतवासी के ह्रदय मे घर कर गया। एक शक्तिशाली साम्राज्य के विरुद्ध अहिंसा तथा सत्याग्रह के शस्त्रों द्वारा लड़ाई लड़कर न केवल भारत को स्वतंत्रता मिली वरन् इसने सम्पूर्ण विश्व को एक नई दिशा दिखाई। अहिंसा परमो धर्म् के भाव वाले इस राष्ट्र मे विगत कुछ वर्षो मे हुई हिंसा ने समग्र विश्व को सोचने पर मजबूर कर दिया कि क्या ये वही देश है जहाँ गांधी जैसे शांतिप्रिय दूत ने अहिंसा का संदेश दिया था?
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि सत्याग्रह से  हिंसाग्रह की ओर अहिंसा परमो:धर्म के भाव वाले भारत में हिंसा चिंतनीय हैं। शक्तिशाली साम्राज्य के विरुद्ध भारत ने अहिंसा और सत्याग्रह के शस्त्रों से स्वतंत्रता दिलाकर विश्व को नई दिशा दिखाई वहां हिंसाग्रह चिंतनीय है।
संकलनकर्ता लेखक – कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र

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