राष्ट्रीय संपादकीय

एक अकेला राहुल गांधी सब पर भारी

 

फरीद अहमद खान

भारत देश हमारा विविधाओं से भरा हुआ है। यही ऐसा देश है जहां हमें विभिन्न संस्कृतियों के बाद एक सूत्र में पिरोता है। ऐसे ही एक राजनेता देश में सबको मौहब्बत की दुकान में तब्दील करता नजर आ रहा है। अभी हाल में जब विश्व में कोरोना काल था जब एक अदना सा राहुल गांधी एक साधारण सा मानव बन प्रवासियों को हाल चाल पूछता नजर आया। धीरे धीरे जब राहुल गांधी ने देश में कन्याकुमारी से कश्मीर तक यात्रा निकाली तो यह यात्रा धीरे धीरे जन जन के मन में असर कर गई ओर जिसका नतीजा हमें २०२४ से पहले हिमाचल और कर्नाटक में देखने को मिला।

मैं यह बातें किसी राजनीति से प्रेरित होकर नहीं एक भारतवासी के नाते लिख रहा हूं। चाहे मैं अर्थव्यस्था के व्यवसाय से जुड़ा हुआ हूं लेकिन जो मन की व्यथा है वह अभी कुछ दिन पहले से शुरु हुई । मैंने देखा कि राहुल गांधी एक अलग तरीके की राजनीति करते नजर आ रहे हैं। अभी फिल्हाल जब यकायक एक ट्रक में राहुल बैठे दिखाई दिये तो मैंने सोचा कि शायद हर राजनेता की तरह ही मीडिया में चर्चा में बने रहने के लिए कर रहे हैं लेकिन मैं गलत था क्योंकि दूसरी बार जब दिल्ली के करोल बाग में एक मोटरसाइकिल मैकेनिक की तरह अपने हाथों को काला किये मैकेनिक की तरह काम करते हुए लोगों के बीच उनकी समस्याओं को समझते नजर आये जो कि हमारे देश के लिए बहुत मायने रखती है। वेशक अब राहुल गांधी आम आदमी की तरह है। क्योंकि उनकी संसद सदस्यता एक बेमतलब के बयान की वजह से मुद्दा बनकार वार किया गया है वह भारत की जनता सब जानती है।
मैं अपने मूल मूद्दे पर आ जाता हूूं कि जिसे मैं आपके सम्मुख रखने जा रहा हूं बात ऐसी है कि अभी तीन पूर्व शिमला जाते वक्त राहुल गांधी हरियाणा में सोनीपत के नजदीक गोहाना की तरफ निकले और किसानों के बीच पहुंच गए और गांव बरोदा विधानसभा में मदीना गांव और बरोदा गांव के खेतों में काम कर रहे किसानों से मुलाकात की । किसान अपने खेतों में धान की रोपाई कर रहे थे। उसी बीच राहुल गांधी अपने जूते निकाल कर किसानों के खेतों में उनके साथ धान की फसल लगवाने के लिए पहुंच गए। लोगों को जब पता लगा कि राहुल गांधी उनके बीच पहुंचे हैं तो किसानों की भीड़ जमा होने लगी। राहुल गांधी को इस तरह कई बार देखा गया है, लेकिन राहुल गांधी का पहला ऐसा रूप देखा गया है जब राहुल गांधी अपने जूते निकाल कर गाड़ी से नीचे उतर कर किसानों की बीच उनके खेतों में पहुंच गए। राहुल गांधी ट्रैक्टर भी चलाते हुए नजर आए।

जब किसानों को पता लगा कि राहुल गांधी खुद उनके खेतों में पहुंचे हैं। धीरे-धीरे लोगों की भीड़ जमा होने लगी। इसी बीच राहुल गांधी किसानों से बात करते हुए भी नजर आए। किसानों से उनकी समस्याओं के बारे में बातचीत करते हुए नजर आए। देश के किसानों में एक संदेश गया कि चलो कोई राजनेता तो आया किसानों की सुध लेने। जी हां कृषि एक ऐसा विषय है जिससे हमारे भारत को सोने की चिड़िया कहां जाता है। भारत की ७० प्रतिशत अर्थव्यस्था कृषि पर आधारित है। इसी कृषि का एक अहसास कोरोना काल में हुआ जब अच्छे अच्छे देश की जीडीपी नीचे आ गई थी तब कृषि से ही हमारी अर्थव्यवस्था उभर पाई।

अब ऐसे में कोई राजनेता देश की जनता के बीच जाकर उनकी बातों को समझ रहा है तो इसे ऐसे ही हल्के में नहीं लिया जा सकता। अगर यह सब मीडिया में चर्चा के लिए होता तो उस समय गोदी मीडिया पहले ही वहां पहुंच जाता और हर टीवी चैनल पर यह चल रहा होता लेकिन आज मीडिया जिब दबाव में कार्य कर रहा है तो ऐसे में किसी से छिपा नहीं है।

फिर भी राहुल गांधी की बातें देश में एक संदेश के रूप में लोगों के दिल में असर कर रही है। जिस राहुल गांधी पर एक पार्टी ने जिस तरीके से मीम बनबाकर यह सिद्व करवाना था राहुल गांधी तो नसमझ है लेकिन जिस तरीके से राहुल गांधी ने इन सभी बातों को झूठा साबित कर दिया। जहां २०१४ से पूर्व लोग करते थे कि मोदी के बाद विपक्ष में कौन ऐसा नेता है तो आज वहीं लोग खुलकर राहुल गांधी का नाम लेते नजर आ रहे हैं। अब ऐसे में राहुल गांधी को जिन राज्यों में कांग्रेस की सरकार है वहां कुछ ऐसे मिसाल पेश करनी होगी जिसकी किसी के पास काट न हो।
लेखक पेशे से एक सीए है।

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