मनोरंजन राष्ट्रीय

अद्वितीय आवाज के लिए जाना माना चेहरा वीरेंद्र सक्सेना

सुनील शर्मा वरिष्ठ पत्रकार
वीरेन्द्र सक्सेना भारतीय थिएटर, फिल्म और टेलीविजन के एक जानेमाने अभिनेता हैं। वो राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) के पूर्व छात्र भी हैं। सक्सेना को उनके चरित्र अभिनय और अद्वितीय आवाज के लिए जाना जाता है। मथुरा में जन्मे, पले, पढ़े यहीं पर बचपन बीता मथुरा की मिट्टी से बेहद लगाव रखने वाले वीरेन्द्र सक्सेना ने अपने कुशल अभिनय से मथुरा का नाम रौशन किया।

कल का दिन मेरे लिए बड़ा ही खास था, आजकल मेरा नियमित जंक्शन रोड़ पर स्थित पी. के. स्टुडियो में जाना होता है, मुझे मालूम हुआ कि आज वीरू दादा यानी (वीरेन्द्र सक्सेना) स्टुडियो आने वाले हैं, मैं भी जल्दी से स्टुडियो पहुंच गया। दादा से मुलाकात हुई एक गम्भीर स्वभाव, अत्यन्त सरल व्यक्तित्व के धनी तथा अपनी अद्वितीय आवाज के लिए मषहूर, मुम्बईया फिल्मों में अपना लोहा मनवाने वाले वीरेन्द्र सक्सेना ने एक से एक धांसू फिल्में सिनेमा प्रमियों को दीं हैं।आज वीरेन्द्र दादा किसी परिचय के मौहताज नहीं हैं हालांकि वीरेन्द्र जी आज मुम्बई की व्यस्त और चकाचौध भरी जिन्दगी का एक हिस्सा हैं मगर उनका मथुरा यानी उनके जन्मस्थान को वह कभी भुला नहीं पाये जब भी कभी मथुरा आते हैं उसी सादगी से लोगों से मिलते हैं, प्यार से वाते करते हैं, हर कौई काहिल हो ही जाता है। आज भी वह मथुरा के हालचाल जानने की इच्छा रखते हैं। मथुरा की तरक्की, मथुरा का विकास तथा यहां के सफल होते लोगों के विषय में जानने रूचि उनमें देखने को मिली।

वीरेन्द्र जी से वातें हो रही थी कि उन्होंने कुछ नामचीन लोगों के बारे में पूछ लिया साथ ही मथुरा घाटी बहालराय से लेकर चौक बाजार और ब्रजवासी मिठाई वाला से लेकर लाल दरवाजा सब कुछ उन्हें याद है और हर गली और मौहल्ले के नामों को आजतक वह भूल नहीं सके। सब कुछ याद है तथा मथुरा से उनकी खटटी मीठी यादें जुड़ी हुई हैं।
वीरेन्द्र सक्सेना (वीरू दादा) भारतीय थिएटर, फिल्म और टेलीविजन के अभिनेता हैं। वो राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (एनएसडी) के पूर्व छात्र भी हैं। सक्सेना को उनके चरित्र अभिनय और अद्वितीय आवाज के लिए जाना जाता है। उन्होंने 80 से अधिक भारतीय फ़िल्मों में, कुछ होलिवुड फ़िल्मों जैसे रैनबॉ, कॉटन मेरी, इन कस्टडी आदि तथा विभिन्न टेलीविजन धारावाहिकों में भी अभिनय किया है। सक्सेना का जन्म मथुरा के घाटी बहालराय में हुआ।
उन्होंने टेलीविजन तारिका समता से विवाह किया और अब दोनों मुम्बई में रहते हैं। आपने उलझन, मेस्सी साहिब, खामोश, तामस, आशिकी, नरसिम्हा, दिल है कि मानता नहीं, विष्णु-देवा, धारावी, अंगार, सूरज का सातवां घोडा, कभी हाँ कभी ना, आइना, तेजस्विनी, तर्पण, इन कस्टडी, नाराज़, इंग्लिश, अगस्त, राम, टुन्नू की टीना, ज़िद्दी, परदेसी बाबू, हीरालाल पन्नालाल, अर्जुन पंडित, स्प्लिट वाइड ओपन, शूल, कॉटन मैरी, बिच्छू, अक्स, माया, काबू, घाव, साथिया, एक हिंदुस्तानी, जाल : दी ट्रैप, रघु रोमियो, समय, धुप, फंटूश, रुद्राक्ष, किस्मत, बर्दाश्त, वैनिटी फेयर, भोला इन बॉलीवुड, वादा, वाइट रेनबो, बनटी और बबली, सरकार, एक चालीस की लास्ट लोकल, राम गोपाल वर्मा की आग, ए वेडनेसडे, यह मेरा इंडिया, थे स्टोनमैन मर्डर्स, हाउसफुल 2, भेजा फ्राई 2, दी मैकेनिक, अत पता, लपटता, बबल गम, शागिर्द, तेरा क्या होगा, जॉनी रोड, मूवी देख भाई देख, संकट सिटी, एक से बुरे दो, चल चला चल से सलाम इंडिया कृष्णा करामाती कोट जिगरिया, डत जो बी, कार्वाल्हो जैसी फिल्मों अद्वितीय अभिनय किया है।
उन्होंने उस मिथक को भी तोड़ा जब फिल्मी दुनिया में यह समझा जाता था कि अति सुन्दर और बहुत अच्छा दीखने वाला व्यक्ति ही फिल्मों में जा सकता है और काम कर सकता है अगर आपके अन्दर प्रतिभा हो तो आप रंग रूप से नहीं अपने काम से लोगों के बीच अपनी पहचान बना सकते हैं, वीरेन्द्र सक्सेना एक मिशाल हैं।
मथुरा आगमन पर वरिष्ठ पत्रकार सुनील शर्मा जी से बातचीत पर आधारित..

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